अंग्रेजों द्वारा बनाई गई वो रेजिमेंट, जिसने ब्रिटिश शासन को भी हिलाके रख दिया, आज भी है यह रेजिमेंट भारत की शान

Artillery Regiment: युद्धभूमि में जब दुश्मन के किले फौलाद की दीवार बन खड़े हो जाते हैं, तब भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट अपने भयंकर गोले बरसाकर रास्ता साफ करती है। यही कारण है कि इसे ‘गॉड ऑफ वॉर’ कहा जाता है। इसका सफर ब्रिटिश भारतीय सेना की रॉयल इंडियन आर्टिलरी के रूप में शुरू हुआ और आज यह भारतीय सेना का सबसे शक्तिशाली हथियार बन चुकी है।

गनर्स डे: तोपचियों की विरासत का जश्न

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हर साल 28 सितंबर को ‘गनर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है। यह तारीख 1827 में 5 (बॉम्बे) माउंटेन बैटरी की स्थापना की याद दिलाती है, जो आज भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट का पहला अध्याय मानी जाती है। उस दौर में, गोलंदाज अंग्रेजी सेना के सहायक होते थे, लेकिन आज वही गोलंदाज भारतीय सेना की ताकत का प्रतीक हैं।

आधुनिक हथियारों का खजाना

शुरुआत 2.5 इंच की गन से हुई थी, लेकिन आज इस रेजिमेंट के पास अत्याधुनिक मिसाइल, रॉकेट, मोर्टार, और ड्रोन हैं। सेना के सभी जमीनी अभियानों के दौरान यह रेजिमेंट दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर देती है।

दुश्मनों का अंत और अपनी सेना का मार्गदर्शन

सेना के इतिहास में आर्टिलरी हमेशा से एक निर्णायक हथियार रही है। चाहे वह जंग हो या शांति अभियान, इस रेजिमेंट ने दुश्मन की ताकत को खाक कर दिया है।

तोपखाने की शुरुआत: बाबर का योगदान

भारत में तोपखाने की शुरुआत का श्रेय मुगल सम्राट बाबर को दिया जाता है। 1526 में पानीपत की लड़ाई में तोपों का इस्तेमाल करके बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया।

आर्टिलरी की परंपराएं: सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक

हर दशहरा पर इस रेजिमेंट के जवान अपनी तोपों की पूजा करते हैं। रक्षा बंधन के मौके पर जवान अपनी तोपों को रक्षा सूत्र बांधते हैं। यह परंपराएं दर्शाती हैं कि जवान और उनकी तोपें एक-दूसरे के सम्मान और रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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देश के कोने-कोने से गनर्स का संगम

आजादी के बाद आर्टिलरी रेजिमेंट में जातीय आधार पर यूनिट्स बनाई गई थीं, लेकिन अब इसमें देश के हर कोने से गनर्स शामिल होते हैं। यह विविधता भारतीय सेना की ताकत का प्रतीक है।

विदेशों में भी लहराया परचम

रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी ने न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया है। श्रीलंका, कोंगो, सिएरा लियोन और सोमालिया जैसे देशों में यूनाइटेड नेशंस के शांति अभियानों में इसकी भूमिका सराहनीय रही है।

सम्मान और पुरस्कार

आर्टिलरी रेजिमेंट के नाम एक विक्टोरिया क्रॉस, एक अशोक चक्र, सात महावीर चक्र, 95 वीर चक्र और 227 सेना मेडल हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि यह रेजिमेंट हर मोर्चे पर देश का नाम रोशन करती है।

निष्कर्ष:

भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट युद्ध के मैदान में दुश्मनों को धूल चटाने वाली वह ताकत है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। इसकी वीरता, परंपराएं और आधुनिकता इसे भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बनाती हैं।

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